Self improvement actually acceptance , Practice is everything
योगा करने से आप के जिवन में एक नई ऊर्जा और एक नई दिशा मिलता है हमारा हर दिन योगा से करे जिससे हमारे शरीर के साथ हमारा जिवन भी सुखी से बीते.
फिट रहने के लिए बैलेंस योगा Diet,औरregularworkout),दोनों ही बहुत जरूरी हैं। योगा का अभ्यास करने की कला व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह एक शांतिपूर्ण शरीर और मन को प्राप्त करने के लिए शारीरिक और मानसिक विषयों को एक साथ लाता है, आपको तनावमुक्त रखता है।
योगा संस्कृत के शब्द युज (yuj)से निकला है, जिसका मतलब होता है दो या अधिक चीजों का आपस मे जुड़ना। यह एक शारीरिक क्रिया है, जो शरीर को शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
योगा का सबसे पहला उल्लेख भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक “ऋगवेद” में देखने को मिलता है। जिसका मतलब “मिलना” या “जुड़ना” है। योग का जन्म भी लगभग 5000 हजार वर्ष पहले भारत में ही हुआ था और इसकी प्रभावशीलता के कारण यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। आजकल योग के कई नए आसनों और तकनीकों का निर्माण हो चुका है
आसनों को योगासन कहा जाता है, इसमें शरीर की लचीलता, शक्ति और सांस लेने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार किया जाता है। योग के सबसे मुख्य घटक आसन और सांस लेने की विशेष तकनीक होती है। जो विशेष शारीरिक मुद्राएं होती हैं। ये शारीरिक मुद्राएं या योगासन कुछ इस तरीके से तैयार किए जाते हैं, पिछले कुछ वर्षों से दुनियाभर में योग की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। कुछ लोग इसके आसनों को शरीर की लचीलता और शक्ति बढ़ाने के लिए करते हैं, जबकि अन्य लोग मानसिक तनाव और चिंता जैसे विकारों को दूर करने के लिए योग अपनाते हैं।
योगा के लाभ……………..…
शारीरिक शक्ति, लचीलता और संतुलन में सुधार
कमर व जोड़ों के दर्द से राहत
शरीर को विश्राम मिलता है और नींद अच्छी आती है
शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है और अच्छा मूड रहता है
तनाव कम रहता है
आत्म देखभाल भावना का विस्तार होता है
योगा के नियम………..
रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो पाए।
योगासन को हमेशा एक साफ-सुथरी और हवादार जगह पर किया जाता है।
शरीर को शांत रखने के लिए योग की सभी विश्राम क्रियाओं को पूरा करें।
योगासन करने के लिए अच्छी ग्रिप वाले मैट का इस्तेमाल करें, ताकि आप शारीरिक मुद्रा करते समय आप फिसलें नहीं।
कुछ स्थितियों में किसी एक व्यक्ति के लिए योगासन में निश्चित बदलाव किए जा सकते हैं, ऐसा आमतौर पर टखने, घुटने या कूल्हे की हड्डी में चोट, रीढ़ की हड्डी संबंधी रोग, ग्लूकोमा, उच्च रक्तचाप या शारीरिक संतुलन संबंधी समस्याएं होने के कारण किया जाता है।